प्रायश्चित - 1 Suresh Chaudhary द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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प्रायश्चित - 1

अमन न चाहते हुए भी बिस्तर से उतर कर बाथ रूम में घुस गया और नहा कर अनमने मन से तैयार भी हो गया, तभी बाहरी गेट पर आहट हुई। अमन समझ गया कि महेश आ गया है।
,, यार तू अभी तक तैयार भी नहीं हुआ है, तुझे पता है ना कि ट्रेन तेरा या मेरा वेट नही करेगी,,। आने के साथ ही बड़बड़ाया महेश
,, बस अभी दो मिनट,,। और अमन ने कपडे पहनना शुरु कर दिया। पांच मिनट बाद ही दोनों बाहर निकल कर आटो का वेट करने लगे। तभी एक आटो भी आ गया और दोनों लगभग बीस मिनट बाद स्टेशन पर। आने के साथ ही पता चला कि ट्रेन एक घंटा लेट है। अमन चुपचाप एक बेंच पर बैठ गया।
,, ए क्या हुआ तुझे,,। अमन को चुप चाप देख महेश ने पुछा।
,, कुछ भी तो नहीं,,।
,, कैसे कुछ नहीं, मैं जानता हूं कि तू कभी इस तरह से चुप नहीं रह सकता, क्या बात है बता ना,,।
कुछ नहीं है यार ,,। अमन कहते हुऐ सामने की ओर देखने लगा।
,, कैसे कुछ नहीं है, तू पहले मुर्दों को भी हंसा कर चलता था और आज हैं कि तू खुद ही चुप चाप है, क्या बात है तेरी तबियत तो ठीक है ना,,। महेश को अमन की चुप्पी अखरने लगी थी।
,, सर मे थोड़ा दर्द है बस,,। महेश को टालने के अंदाज में कहा अमन ने। महेश कुछ और बात करता, तभी ट्रेन आ गई और दोनों अपने कोच में आ कर अपनी अपनी सीट पर बैठ गए। अमन ने अपने बैग में से एक उपन्यास निकाल लिया और महेश बिना वजह के सवाल न करे, इसलिए उपन्यास पढ़ने लगा। महेश ने अमन को टोकना चाहा लेकिन फिर चुप हो कर बैठ गया।
लगभग चार घंटे के साथ अपनी मंजिल पर पहुंच गए।
,, इतनी देर से आए हो तुम दोनों,,। आने के साथ ही सार्थक ने सवाल दाग दिया।
,, अभी कौनसा तेरी बारात निकल गई,,। महेश ने पुछा
,, अरे शादी का घर है, तुम दोनों मेरे खास दोस्त हो, तुम्हें कम से कम दो दिन पहले आना चाहिए था और तुम हो कि आज आए हो,,। सार्थक ने नाराजगी जताते हुए कहा
,, सारे सवाल यहां गेट पर ही होंगे या अंदर भी आने देगा,। महेश ने कहा।
सार्थक ने अंदर दोनों को नाश्ता कराया और महेश बढ़ चढ़ कर शादी के काम में हिस्सा लेने लगे।
शाम के समय सार्थक की बारात मैरिज पैलेस में पहुंच गई। अमन की चुप्पी से महेश अंदर ही अंदर परेशान हो गया, लेकिन शादी के काम में व्यस्त होने से अधिक बात नहीं कर सका। बारात में भी जाने के बाद अमन एक ओर बड़े सोफे पर बैठ कर अपने मोबाईल में लग गया।
,, अमन,,। तभी अमन को किसी महिला की आवाज सुनाई दी, आवाज कुछ जानी पहचानी सी लगी इसलिए अमन ने आवाज की दिशा में देखा, सामने अनुपमा जो अमन को एकटक देखे हुई है। अमन को अपनी आंखो पर विश्वाश नही हुआ।
,, आप,,। अमन ने बहुत ही धीमी आवाज में कहा
,, क्या मैं आपके पास बैठ सकती हूं,,। अनुपमा ने पास आते हुए पुछा। लेकिन अमन के जबाव देने से पहले ही अनुपमा अमन के बराबर मे बैठ गई। अनुपमा को अपने पास देख कर अमन थोड़ा असहज हो गया।
,, कैसे हो,,। अनुपमा ने धीमी आवाज में कहा
अमन ने कोई जवाब नहीं दिया।
,, क्या अब तक नाराज हो मुझ से,,।
,, नहीं मैं अपने आप से नाराज हूं,,।
,, अपने आप से, गलती तो मैने की और नाराज हो तुम अपने ही आप से,,।
,, शायद गलती मेरी थी, मैने तुम्हे हद से ज्यादा प्यार किया था जो तुम हजम नही कर पाई,,।
मित्रों शेष कहानी अगले अंक में।।